नोट बंदी ने एसे बचाया रियल एस्टेट को तबाह होने से

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नोट बंदी को हम काले धन के खिलाफ की गयी कार्यवाही समझते है पर काले धन को निकालने के अलावा इस नोट बंदी ने एक बहुत ही बड़ा काम किया है वो है रियल एस्टेट को तबाही से बचने का !  अगर ये न किया गया होता तो बिल्डरों को प्रॉपर्टी की कीमते बहुत कम करनी पड़ती और ये अच्छा नहीं होता ! 

कैसे कीमते तय होती है प्रॉपर्टी की 

बिल्डर पहले बेंक से कर्ज लेकर जमीन खरीदता है जो की अधिकांशतः कृषि भूमि ही होती है | कृषि भूमि को बाद में आवासीय और व्यवासीय भूमि में बदलवाया जाता है ताकि उस पर मकान दूकान बनायीं जा सके | भूमि को बदलवाने के लिए बिल्डरों को बड़ा पैसा नेताओ पार्टियों को देना पड़ता है | प्रॉपर्टी कीमत में येही पैसा जुड़ जाता है जो प्रॉपर्टी को बहुत महगा कर देता है वरना हम सब ये जानते है की बिल्डिंग मटेरियल और लेबर चार्ज कोई जायदा नहीं है !

कोई नहीं चाहता की प्रॉपर्टी के भाव गिरे

नोट बंदी ने बचाया रियल एस्टेट को

बेंक नहीं चाहते प्रॉपर्टी के भाव गिरे 

देश भर के बैंक का करीब आधा पैसा रियल एस्टेट सेक्टर को लोन में दिया गया है ! अगर प्रॉपर्टी की कीमते गिर जाए तो बिल्डर नहीं कमा पायेंगे और वो बैंक से लिए कर्ज को नहीं चूका पायेंगे देश के बैंक पहले ही कई समस्याओ से झूझ रहे है अगर बिल्डर डिफाल्ट होते है तो बैक की मुसीबते और बढ़ जायेंगी, इसलिए बेंक नहीं चाहते की प्रॉपर्टी के भाव गिरे , कई बार बैंक रियल एस्टेट कंपनियों को फिर से लोन भी दे देते है ताकि वो पुराना लोन चूका सके !

पार्टिया नहीं चाहती प्रॉपर्टी कीमते गिरे 

राजनेताओ का बहुत बड़ा पैसा प्रॉपर्टी में लगा होता है , वो नहीं चाहते की उनके निवेश की कीमते गिरे ! पार्टियों को सबसे जायदा चंदा भी बिल्डरों से मिलता है, जो की कीमते गिरने से मिलना कम या बंद भी हो सकता है इसलिए कोई राजनीतिक दल ये  नहीं चाहता की प्रॉपर्टी कीमते गिरे

सरकार नहीं चाहती कीमते गिरे 

रियल एस्टेट सेक्टर देश की GDP में कृषि के बाद सबसे जायदा योगदान देने वाला सेक्टर है , ये दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला भी सेक्टर है , अगर ये सेक्टर मुसीबत में पड़ता है तो रोजगार भी कम होंगे और देश की ग्रोथ भी , ग्रोथ को रफ़्तार देने के लिए जरुरी है की ये सेक्टर अच्छा करे

क्या होता अगर हो जाता  प्रॉपर्टी क्रेश 

अमेरिका में २००८ में मंदी प्रॉपर्टी क्रेश के ही कारन आई थी , लाखो लोगो की नौकरिया गयी , अमेरिका की ग्रोथ कम हो गयी थी और सालो लग गए थे उबरने में  | अगर भारत में भी प्रॉपर्टी क्रेश होता तो यहाँ भी वैसी ही मंदी आने की सम्भावना थी | प्रॉपर्टी क्रेश से बेंक दिवालिया हो जाते , पार्टियों की फंडिंग रुक जाती, देश की आर्थिक तरक्की कम हो जाती और कई लोग बेरोजगार हो जाते |

कैसे नोट बंदी ने दिया रियल एस्टेट को सहारा 

नोट बंदी के कारण जो पैसा सिस्टम से बहार था वो बेंकिंग सिस्टम में आ गया , जिस से बैंको की तरलता बढ़ गयी उनके पास अच्छा पैसा आ गया | ये पैसा बेंक लोन देने में इस्तेमाल कर सकते है और साथ भी ब्याज दरे भी कम हो गयी | कम ब्याज दर प्रॉपर्टी खरीदारों के लिए कर्ज की कीमत कम कर देंगे जो प्रॉपर्टी की मांग बढाने  में मददगार होगी और बिल्डरों को कीमते गिराने की जरुरत भी नहीं होगी , क्योकि ब्याज दर कम होने से ग्राहक के लिए थोड़ी कीमत अपने आप कम होगी !