जानिए केसे टायर रित्रेडिंग इंडस्ट्री को होगा GST से फायदा

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टायर रित्रेडिंग

क्या आपने कभी सोचा है की आपके पुराने टायर का कबाड़ी क्या करता है? जब आपकी गाड़ी का टायर पुराना हो जाता है तो आपको उसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से नहीं इस्तेमाल करना चाहिय| जब आप आपने पुराने टायर को कबाड़ी को बेच देते हैं, तो वो कबाड़ी उस पुराने घिसे हुवे टायर को टायर त्रेअडिंग कंपनी को बेच देता है.

टायर रेत्रेअडिंग
टायर रेत्रेअडिंग

टायर त्रेअडिंग कंपनी वो कंपनी होती है जो पुराने टायर पर रेत्रेअडिंग (परत) करती है, ताकि उस टायर का दुबारा इस्तेमाल किया जा सके.

Retreaded टायर किसी नए टायर की तुलना मई 70% किफायती होते हैं. Retreading करने से न केवल पेसे की बचत होती है उसके अलावा पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुँचता है| एसा इसलिए होता है क्योंकि नए टायर की तुलना में नए टायर में सिर्फ 25 फीसदी रबर का इस्तेमाल होता है. एक और जहाँ नए टायर को बनाने के लिए 22 गैलन कच्चे तेल का उपयोग होता है, वहीँ retreading के लिए सिर्फ ७ गैलन तेल का इस्तेमाल किया जाता है.

इस समय यूरोप और अमेरिका में 100% टायर retread करने योग्य हैं| जबकि भारत में सिर्फ 40% ही है ,  २०२० तक एक अनुमान के मुताबिक retreading करने योग्य रेडियल टायर भारत में 50% तक पहुँच जाएँगे.

GST के लागु होने से इस उद्योग को बहुत फायदा मिलेगा. एक ओर  जहाँ कंपनी का टैक्स कम होगा, वहीँ दूसरी ओर असंगठित उद्योग पर GST की मार पड़ेगी ! भारत में लगातार बढती हुई ट्रको और बसों की बिक्री भी इस क्षेत्र के लिए अच्छी है !

यदि कच्चे तेल और रबर के अंतर्राष्ट्रीय दामो में  तेज़ी न हो, तो इस उद्योग के भारत में तेजी से बढ़ने की बहुत संभावनाए हैं | निवेशक इस सेक्टर से जुडी हुई कंपनियों पर नजर रख सकते है |